उदयपुर में कल पंचायत चुनाव परिणामों (Rajasthan Panchayat Election Result 2020) की घोषणा के साथ ही जिले के ग्रामीण अंचल में चुनावी शोर थम चुका है.
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अविनाश जगनावत, उदयपुर: राजस्थान के उदयपुर (Udaipur News) में कल पंचायत चुनाव परिणामों (Rajasthan Panchayat Election Result 2020) की घोषणा के साथ ही जिले के ग्रामीण अंचल में चुनावी शोर थम चुका है. इस चुनाव में परिणामों की घोषणा के साथ ही जिला परिषद (Udaipur Zila Parishad Result) में एक बार फिर कमल (BJP) खिला है, लेकिन पार्टी अपने 2015 के प्रदर्शन को दौराने में सफल नहीं हो पाई. तो वहीं कांग्रेस पार्टी (Congress) प्रदेश में सत्ता होने लाभ इस चुनाव में नहीं उठा पाई.
उदयपुर जिले में हुए पंचायत चुनावों (Udaipur election result 2020) में भाजपा ने भले ही कांग्रेस पर बढ़त बनाई हो, लेकिन चुनाव परिणामों में पार्टी वर्ष 2015 के मुकाबले पिछती हुई नजर आई है. हालांकि बावजुद इसके कांग्रेस पार्टी अपने प्रदर्शन को सुधारने में सफल नहीं हो पाई. तीन नई पंचायतों का गठन होेने के बाद उदयपुर में इस बार 20 पंचायत समितियों के चुनाव हुए. जिसमें से 8 भाजपा के खाते में आई, 7 पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया और 5 पंचायतों में जनता ने किसी भी एक पार्टी के पक्ष में अपना वोट नहीं दिया.
कांग्रेस से एक पंचायत अधिक जितने के बाद भी भाजपा को 2015 के मुकाबले तीन पंचायतों का नुकसान उठाना पड़ा है. लेकिन इसका ज्यादा फायदी निर्दलियों और तीसरे मोर्चे के रूप में चुनावी मैदान में उतरे प्रत्यासियों ने लिया. हालांकि चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा की गढ मानी जाने वाली गिर्वा, सायरा और मावली पंचायत पर अपना कब्जा जमाया.
किसके खाते में गई कौन से पंचायत
- नयागांव, गिर्वा, मावली, झल्लारा, जयसमंद, सायरा और सराडा पंचायतों में कांग्रेस ने कब्जा जमाया
- कुराबड, वल्लभनगर, सलूम्बर, गोगुन्दा, सेमारी, बडगांव, लसाडिया, और कोटडा पंचायतो में कमल खिला
- तो वही भींडर, ऋषभदेव, फलासिया, झाडोल और खेरवाडा त्रिशंकु पंचायतों की रूप में सामने आई है.
पंचातय समिति चुनाव परिणाम में पिछडी भाजपा की नजर अब त्रिशंकु पंचायतों के रूप में सामने आई पंचायतों में अपने प्रधान बनाने पर है. तो वहीं, कांग्रस पार्टी भी भाजपा पर बढत बनाने को लेकर निर्दलिय और तीसरे मोर्चे की पार्टियों से सम्पर्क कर रहे है जिससे उनकी संख्या 7 से आगे बढ़ सके. लेकिन जोड़ तोड़ की गणित में कौन किस पर भारी पड़ता है. यह तो कल प्रधान के चुनाव के बाद ही साफ हो पाएगा.
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