ब्रह्मांड के किनारे पर गुरुत्वाकर्षण कम क्यों हो जाता है? विज्ञान ने सुलझा ली 100 साल पुरानी गुत्थी!
Advertisement
trendingNow12233151

ब्रह्मांड के किनारे पर गुरुत्वाकर्षण कम क्यों हो जाता है? विज्ञान ने सुलझा ली 100 साल पुरानी गुत्थी!

वैज्ञानिकों ने एक नया मॉडल पेश किया है जो ब्रह्मांड के किनारे पर 'कॉस्मिक गड़बड़ी' को समझा सकता है. दरअसल ब्रह्मांड के किनारे पर गुरुत्वाकर्षण बल कम लगता है.

ब्रह्मांड के किनारे पर गुरुत्वाकर्षण कम क्यों हो जाता है? विज्ञान ने सुलझा ली 100 साल पुरानी गुत्थी!

Gravity In Universe: गुरुत्वाकर्षण वह बल है जिसने ब्रह्मांड को बांध रखा है. यह किन्हीं भी दो पिंडों को आकर्षित करता है, भले ही उनका द्रव्यमान बराबर न हो. ब्रह्मांड के किनारे पर गुरुत्वाकर्षण बल कम लगता है. वहां ग्रेविटी में करीब एक प्रतिशत की कमी देखी जाती है. वैज्ञानिक अब तक इस 'ब्रह्मांडीय गड़बड़ी' की वजह नहीं समझ पाए थे. एक नई स्टडी के मुताबिक, एक नया मॉडल इस गुत्थी को सुलझा सकता है. करीब एक सदी पहले, वैज्ञानिकों ने पाया कि ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है. कुछ वैज्ञानिकों की राय थी कि ऐसा ब्रह्मांड के छोर पर गुरुत्वाकर्षण के कमजोर पड़ने की वजह से ऐसा हो रहा है. गुरुत्वाकर्षण बल को समझने में आइंस्टीन का सामान्य सापेक्षता सिद्धांत बड़ा काम आता है. यह आधुनिक भौतिकी के स्तंभों में से एक है. लेकिन जब इसे ब्रह्मांड के पैमाने पर परखा जाता है तो कुछ विसंगतियां उभरती हैं.

यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिक्स एक्सपर्ट, प्रोफेसर नियायेश अफशोर्दी ने समझाया, 'जैसे-जैसे आकाशगंगाएं आगे बढ़ती हैं, उनकी रफ्तार तेज हो जाती है जो कि आइंस्टीन के सिद्धांत की सीमाओं को चुनौती मालूम होता है. हमारी स्टडी संकेत देती है कि गुरुत्वाकर्षण अपेक्षा से अलग व्यवहार (विचलन) करता करता है, खासतौर से अत्यधिक दूरी पर, यह किसी 'ब्रह्मांडीय गड़बड़ी' के समान है.'

गुरुत्वाकर्षण बल: आइंस्टीन का सिद्धांत काफी नहीं!

कनाडा की वाटरलू यूनिवर्सिटी में मैथमेटिकल फिजिक्स में ग्रेजुएट रॉबिन वेन के अनुसार, 'आइंस्टीन का सिद्धांत विभिन्न खगोलीय घटनाओं में सहायक रहा है. इनमें बिग बैंग को स्पष्ट करना और ब्लैक होल की तस्वीरें लेना शामिल है, लेकिन ब्रह्मांडीय कैनवास पर गुरुत्वाकर्षण से जूझने पर विसंगतियां सामने आती हैं.' वेन ने कहा कि 'दो दशक से ज्यादा समय से वैज्ञानिक सामान्य सापेक्षता के ढांचे के भीतर विसंगतियों को सुलझाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. वेन की स्टडी Journal of Cosmology and Astroparticle Physics में छपी है.

मंगल की जमीन पर हजारों काली मकड़‍ियां? लाल ग्रह की इस फोटो में कौन सा राज छिपा है

इस स्टडी में जो मॉडल पेश किया गया है, वेन उसे 'आइंस्टीन के सिद्धांत का फुटनोट' करार देते हैं. उनके मुताबिक, नया मॉडल इन विसंगतियों को समझने का एक उम्मीद भरा रास्ता देता है. इस मॉडल का मकसद आइंस्टीन के समीकरणों को परिष्कृत और विस्तारित करके, सिद्धांत की स्थापित वैधता को कम किए बिना देखे गए विचलन को समझाना है. अफशोर्दी के मुताबिक, 'यह नया मॉडल अंतरिक्ष और समय से परे एक ब्रह्मांडीय रहस्य को सुलझाने में शुरुआती कदम साबित हो सकता है.'

Trending news